डॉ. श्रीश |
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय, गोरखपुर में हम कुछ लोगों ने इस प्रस्थापना के साथ कि "..प्रतिभाएं भी मंच की मोहताज होती हैं..' एक साहित्यिक मंच का सञ्चालन प्रारंभ किया था. विनय मिश्र जी ने इसका विचार किया था, अभिषेक शुक्ल 'निश्छल' ने इसका नामकरण "नवोत्पल साहित्यिक मंच" किया था. चेतना पाण्डेय, प्रेम शंकर मिश्र, अनुपमा त्रिपाठी, खुशबू, रोशन, अंशुमाली, राजेश सिंह, अमित श्रीवास्तव, जयकृष्ण मिश्र 'अमन', आदि ढेरों लोगों ने इसे अपने श्रम-स्वेद से सींचकर इसे सफल बनाया था. विश्विद्यालय में साहित्यिक गतिविधियों की बहार छा गयी थी. कविता जिसे एक बोर चीज समझा जाता था, नवोत्पल के कार्यक्रमों में आती भीड़ ने ये साबित कर दिया कि दरअसल कवितायेँ तो जीवंत होती हैं, थोड़ा माहौल होना चाहिए उसके अनुशीलन के लिए. सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ये रही थी नवोत्पल की कि इसने विश्विद्यालय और बहुधा विश्वविध्यालय के इतर भी यह सन्देश जमा दिया था कि कविता सिर्फ साहित्यकारों की चीज नहीं है, एक आम इन्सान भी अपने रोजमर्रा जीवन की आपा-धापी लिख सकता है और वह लेखन भी कविता का शक्ल ले सकता है. निश्चित ही हम लघु स्तर पर प्रयास कर रहे थे, पर हमारी उस सामयिक सफलता ने हम सभी में टीम-स्पिरिट और हमारी सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास भी क्रमशः करवाया था.
यह ब्लॉग उसी नवोत्पल साहित्यिक मंच, गोरखपुर की स्मृति में निर्मित है. इसमे आप अपनी रचनाएँ, साहित्य पर अपने विचार, अपने किसी विशिष्ट साहित्यिक अनुभव को नवोत्पल के साथ बाँट सकते हैं, सीधे इस पते पर मेल करके..navotpal@gmail.com
यह ब्लॉग उसी नवोत्पल साहित्यिक मंच, गोरखपुर की स्मृति में निर्मित है. इसमे आप अपनी रचनाएँ, साहित्य पर अपने विचार, अपने किसी विशिष्ट साहित्यिक अनुभव को नवोत्पल के साथ बाँट सकते हैं, सीधे इस पते पर मेल करके..navotpal@gmail.com
ek achha prayas ummed hai safal hoga.
ReplyDeleteअपने विचारों को बहुत सुन्दर ढंग में रखा है आपने. एक सोच के साथ.
ReplyDelete--
जारी रहें. शुभकामनायें.
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महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!
स्वागत है आपका.
ReplyDelete- सुलभ (यादों का इन्द्रजाल...)
swagat, bahut achha nam.manch ki poorn safalata ki kamana kart hun.
ReplyDeleteकृपया यह बतायें कि इतना सुन्दर टेम्प्लेट क़हाँ से आपने प्राप्त किया.मुबारक.
ReplyDeletechandar30@gmail.com
सस्नेह
आपका ही
चन्दर मेहेर
कृपौआ मेरे ब्लॉग पर ज़रूर प्धारियेगा :
lifemazedar.blogspot.com
बहुत बढिया. स्वागतयोग्य प्रयास है.
ReplyDeletesu swagatam
ReplyDeleteसुन्दर आलेख के लिए बधाई!
ReplyDeleteआप यह लिंक ध्यान से देखकर
अपनी एक प्रतिक्रिया और दें।
http://anand.pankajit.com/2009/11/blog-post_13.html?showComment=1258073804809#c1115115588956357312
आपके प्रयास सराहनीय हैं।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
आपका स्वागत है!
ReplyDeleteकविता को सहेजे रखने के लिये किये गये प्रयासों के लिये साधुवाद। यही कामना है कि नवोत्पल साहित्यिक मंच अपनी स्थानीय सफलता को दोहराते हुये अंतरजाल पर कविता के पक्ष में अपनी सशक्त भूमिका निभाये।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सदाग्रह के बाद नवोत्पल ...
ReplyDeleteशायद क्रम भी यही है .
यानी आचरण के बाद सुफल .
उवाच और प्रखर हो रहा है ,
यही होना भी चाहिए ...
वाह !
आपका आलेख पढ़कर उम्मीद जगी है
ReplyDeleteमेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।
बहुत अच्छा प्रयास है शुभकामनायें
ReplyDeletenarayan narayan
ReplyDeleteaap k prayas ki sarhana karne k sath hi sath shubhkamnayen.
ReplyDelete... कदम-दर-कदम मुलाकातें होते रहेंगी !!!!
ReplyDeleteati sundar ya yun kahen ki sundartam rachna ka srijan karne wale baba ko sat sat naman
ReplyDeletebaba ki jai ho...
apne ashirwad se isi tarah anugrahit karte rahe..
ye betiyan hai kahaniyan k kahaniyon c betiyan. her zulm k hain nishane pe ye nishaniyon c betiyan
ReplyDeleteGorakhpur se shuru hue sahitiyk safar ko dilli se ek naya ayam naya swaroop aur naya manch dene ke liye sadhuvad...!!!
ReplyDeleteGorakhpur se shuru hue sahitiyk safar ko dilli se ek naya ayam naya swaroop aur naya manch dene ke liye sadhuvad...!!!
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