नवोत्पल गुरुवारीय विमर्श

 


Thursday, November 12, 2009

नवोत्पल साहित्यिक मंच

डॉ. श्रीश 
मै हमेशा सोचता हूँ कि ब्लॉग से लोगों की डायरियों के भीतर रचा जा रहा साहित्य बाहर निकला है. साहित्य यदि समाज का दर्पण है तो इसे रचने-गढ़ने और पढ़ने में समाज का हर व्यक्ति शामिल होना चाहिये. ब्लाग के माध्यम से यह संभव हो सका है. अब कोई स्थापना टिप्पणियों से निर्भय नहीं रह सकती. इसप्रकार लेखन का एक प्रकार का लोकतंत्रीकरण संभव हुआ है. इस स्पेस का लाभ उठाते हुए इस ब्लॉग की प्रस्तावना है. इस ब्लॉग में नवोदित कवियों की रचनाएँ होंगी और समय-समय पर साहित्यिक चर्चाएँ होंगी.

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय, गोरखपुर में हम कुछ लोगों ने इस प्रस्थापना के साथ कि "..प्रतिभाएं भी मंच की मोहताज होती हैं..' एक साहित्यिक मंच का सञ्चालन प्रारंभ किया था. विनय मिश्र जी ने इसका विचार किया था, अभिषेक शुक्ल 'निश्छल' ने इसका नामकरण "नवोत्पल साहित्यिक मंच" किया था. चेतना पाण्डेय, प्रेम शंकर मिश्र, अनुपमा त्रिपाठी, खुशबू, रोशन, अंशुमाली, राजेश सिंह, अमित श्रीवास्तव, जयकृष्ण मिश्र 'अमन', आदि ढेरों लोगों ने इसे अपने श्रम-स्वेद से सींचकर इसे सफल बनाया था. विश्विद्यालय में साहित्यिक गतिविधियों की बहार छा गयी थी. कविता जिसे एक बोर चीज समझा जाता था, नवोत्पल के कार्यक्रमों में आती भीड़ ने ये साबित कर दिया कि दरअसल कवितायेँ तो जीवंत होती हैं, थोड़ा माहौल होना चाहिए उसके अनुशीलन के लिए. सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ये रही थी नवोत्पल की कि इसने विश्विद्यालय और बहुधा विश्वविध्यालय के इतर भी यह सन्देश जमा दिया था कि कविता सिर्फ साहित्यकारों की चीज नहीं है, एक आम इन्सान भी अपने रोजमर्रा जीवन की आपा-धापी लिख सकता है और वह लेखन भी कविता का शक्ल ले सकता है. निश्चित ही हम लघु स्तर पर प्रयास कर रहे थे, पर हमारी उस सामयिक सफलता ने हम सभी में टीम-स्पिरिट और हमारी सामाजिक जिम्मेदारी का एहसास भी क्रमशः करवाया था.

यह ब्लॉग उसी नवोत्पल साहित्यिक मंच, गोरखपुर की स्मृति में निर्मित है. इसमे आप अपनी रचनाएँ, साहित्य पर अपने विचार, अपने किसी विशिष्ट साहित्यिक अनुभव को नवोत्पल के साथ बाँट सकते हैं, सीधे इस पते पर मेल करके..navotpal@gmail.com



आप सभी सुधीजनों का सुस्वागत है...श्रीश पाठक 'प्रखर'

21 comments:

  1. ek achha prayas ummed hai safal hoga.

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  2. अपने विचारों को बहुत सुन्दर ढंग में रखा है आपने. एक सोच के साथ.
    --
    जारी रहें. शुभकामनायें.
    ---
    महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!

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  3. swagat, bahut achha nam.manch ki poorn safalata ki kamana kart hun.

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  4. कृपया यह बतायें कि इतना सुन्दर टेम्प्लेट क़हाँ से आपने प्राप्त किया.मुबारक.
    chandar30@gmail.com
    सस्नेह
    आपका ही

    चन्दर मेहेर
    कृपौआ मेरे ब्लॉग पर ज़रूर प्धारियेगा :

    lifemazedar.blogspot.com

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  5. बहुत बढिया. स्वागतयोग्य प्रयास है.

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  6. सुन्दर आलेख के लिए बधाई!
    आप यह लिंक ध्यान से देखकर
    अपनी एक प्रतिक्रिया और दें।
    http://anand.pankajit.com/2009/11/blog-post_13.html?showComment=1258073804809#c1115115588956357312

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  7. आपके प्रयास सराहनीय हैं।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  8. आपका स्वागत है!

    कविता को सहेजे रखने के लिये किये गये प्रयासों के लिये साधुवाद। यही कामना है कि नवोत्पल साहित्यिक मंच अपनी स्थानीय सफलता को दोहराते हुये अंतरजाल पर कविता के पक्ष में अपनी सशक्त भूमिका निभाये।

    सादर,

    मुकेश कुमार तिवारी

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  9. सदाग्रह के बाद नवोत्पल ...
    शायद क्रम भी यही है .
    यानी आचरण के बाद सुफल .
    उवाच और प्रखर हो रहा है ,
    यही होना भी चाहिए ...
    वाह !

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  10. आपका आलेख पढ़कर उम्मीद जगी है
    मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं।

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  11. बहुत अच्छा प्रयास है शुभकामनायें

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  12. aap k prayas ki sarhana karne k sath hi sath shubhkamnayen.

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  13. ... कदम-दर-कदम मुलाकातें होते रहेंगी !!!!

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  14. ati sundar ya yun kahen ki sundartam rachna ka srijan karne wale baba ko sat sat naman
    baba ki jai ho...
    apne ashirwad se isi tarah anugrahit karte rahe..

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  15. ye betiyan hai kahaniyan k kahaniyon c betiyan. her zulm k hain nishane pe ye nishaniyon c betiyan

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  16. Gorakhpur se shuru hue sahitiyk safar ko dilli se ek naya ayam naya swaroop aur naya manch dene ke liye sadhuvad...!!!

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  17. Gorakhpur se shuru hue sahitiyk safar ko dilli se ek naya ayam naya swaroop aur naya manch dene ke liye sadhuvad...!!!

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  18. This comment has been removed by the author.

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