#StatusOfStatus
साँस लेने या फिर पलकें झपकाने की तरह ही हम जिंदगी भी जिए जा रहे हैं.... आदतन। शायद इसीलिए हमारे दुख-सुख स्थूल है... जीवन की बारीकियाँ, सूक्ष्म दुख-सुख हमें व्यापते भी नहीं, दिखाई भी नहीं देते और हम खाने में नमक तेज और मिर्च कम जैसे स्टेटमेंट से अपनी जिंदगी के प्रति जजमेंटल हो जाया करते हैं.... जबकि जिंदगी तो इलायची-केसर की खुश्बू, हींग-जीरे का तड़का और काली मिर्च के जायके जैसे बारीक-बारीक स्वादों का खज़ाना है, जिसे हम नमक-शकर और मिर्च जैसे मोटे-मोटे स्वादों में खो रहे हैं...:-( पहली बारिश से उठती मिट्टी की खुश्बू, किसी फूल पर पड़ी ओस की बूंद, किसी पेड़ की कोटर में चिड़िया का घोंसला, वसंत में चटका पलाश या तेज़ गर्मी में खिला गुलमोहर-अमलतास.... बच्चे का मासूम सवाल और कोई सौंधी सी भावना.... ये हैं जिंदगी के असली ज़ायके... :-)
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साँस लेने या फिर पलकें झपकाने की तरह ही हम जिंदगी भी जिए जा रहे हैं.... आदतन। शायद इसीलिए हमारे दुख-सुख स्थूल है... जीवन की बारीकियाँ, सूक्ष्म दुख-सुख हमें व्यापते भी नहीं, दिखाई भी नहीं देते और हम खाने में नमक तेज और मिर्च कम जैसे स्टेटमेंट से अपनी जिंदगी के प्रति जजमेंटल हो जाया करते हैं.... जबकि जिंदगी तो इलायची-केसर की खुश्बू, हींग-जीरे का तड़का और काली मिर्च के जायके जैसे बारीक-बारीक स्वादों का खज़ाना है, जिसे हम नमक-शकर और मिर्च जैसे मोटे-मोटे स्वादों में खो रहे हैं...:-( पहली बारिश से उठती मिट्टी की खुश्बू, किसी फूल पर पड़ी ओस की बूंद, किसी पेड़ की कोटर में चिड़िया का घोंसला, वसंत में चटका पलाश या तेज़ गर्मी में खिला गुलमोहर-अमलतास.... बच्चे का मासूम सवाल और कोई सौंधी सी भावना.... ये हैं जिंदगी के असली ज़ायके... :-)
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